- दावा मजबूत इसलिए- कोरोना काल में प्रदेश के 11 जिलों के 4,12,641 से ज्यादा सैंपल के टेस्ट पीजीआई में हुए !
- जरूरत इसलिए- गंभीर श्रेणी के वायरस की जांच के लिए सभी सैंपल अभी दिल्ली और पुणे की लैब भेजने पड़ते हैं !
केंद्रीय बजट 2021 में हेल्थ सेक्टर में केंद्र सरकार की ओर से देश भर में 4 नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी बनाए जाने की घोषणा हुई है। आत्मनिर्भर स्वास्थ्य योजना में इन वॉयरोलॉजी लैब को शामिल किया जाएगा। रोहतक पीजीआई इनमें से एक लैब पर अपना दावा पेश करने जा रहा है। इसके लिए जल्द ही एक प्रस्ताव बना राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा।
राज्य सरकार इसे केंद्र के पास भेजेगी। पीजीआई रोहतक का ये दावा कमजोर भी नहीं है। कोरोना महामारी के दौर में पीजीआईमें कोविड टेस्टिंग की सुविधा की क्षमता और को-वैक्सीन के ट्रॉयल रिजल्ट को देखते हुए पीजीआई रोहतक इस दौड़ में सबसे आगे भी दिख रहा है।
अभी देश में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी लैब केवल पुणे में ही है। पीजीआई डायरेक्टर डॉ. रोहताश यादव का कहना है कि पीजीआई की वीआरडीएल लैब में आठ से 10 जिलों से आने वाले कोरोना सैंपल टेस्टिंग कर संक्रमित मरीजों का पता लगाया। वर्तमान में पीजीआई की वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैब में रोहतक, झज्जर, चरखी दादरी जिलों से आने वाले कोरोना सैंपल की टेस्टिंग का काम एक्सपर्ट की टीम कर रही है। संस्थान में वर्तमान में उपलब्ध संसाधनों और पर्याप्त स्थान को देखते हुए केंद्र सरकार की ओर से चार में से एक नेशनल वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट का आवंटन होने की पूरी उम्मीद है।
संक्रामक बीमारियों के इलाज के लिए अलग से विभाग और अस्पताल भी बनेगा, 30 करोड़ बजट का अनुमान
लैब का दर्जा मिला तो टेस्टिंग- रिसर्च जैसी सुविधाएं होंगी उपलब्ध
कोरोना महामारी को देखते हुए देश में खुले वाले चार इंस्टीट्यूट में भविष्य में आने वाली महामारी का पता लगाने के लिए टेस्टिंग, रिसर्च जैसी अन्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी। ऐसे में पंडित बीडी शर्मा हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी और पीजीआई प्रशासन ने संस्थान में संचालित वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैब में उपलब्ध संसाधनों के आधार पर एक वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट आवंटन के लिए दावेदारी करने का फैसला लिया है। पीजीआई निदेशक डॉ. रोहतास यादव का दावा है कि वो प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार के जरिए केंद्र को भेजेंगे।
इंस्टीट्यूट स्थापित होने के बाद सैंपल टेस्ट के लिए पुणे लैब में नहीं भेजने होंगे: पीजीआई निदेशक डॉ. रोहतास यादव बताते हैं कि सरकार की ओर से यदि पीजीआई में इंस्टीट्यूट संचालन की मंजूरी मिलती है तो पूरे हरियाणा और आसपास के राज्यों से कोरोना जैसे अन्य कई वायरस का पता लगाने के लिए पुणे और दिल्ली की लैब में सैंपल नहीं भेजने पड़ेंगे। रिसर्च और संक्रमण की डायग्नोसिस भी कर सकेंगे। एक इंस्टीट्यूट स्थापित होने में औसतन 30 करोड़ की लागत आएगी।
वायरोलॉजी लैब की क्या है अहमियत ऐसे समझें
बीएसएल-2: पीजीआई की वीआरडीएल लैब को बायो सेफ्टी लेवल-2 का दर्जा है। लैब में वायरस, फंगस, बैक्टीरिया, हेपेटाइटिस बी व सी और स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मरीजों के सैंपल की जांच की जाती है।
बीएसएल-3: यहां दूसरे देशों से आए या फिर नए पैथोजन पर काम होता है। लैब में यलो फीवर, वेस्ट नाइल वायरस और टीबी के बैक्टीरिया भी पलते हैं। हमारे देश में भारतीय वायरोलॉजी संस्थान पुणे इसी श्रेणी का है।
अभी हमारी लैब को बीएसएल-2 का दर्जा, अब भी 3 जिलों के सैंपल जांच रहे
अधिकारी बताते हैं कि कोरोना काल के 11 माह में पीजीआई की वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैब में प्रदेश के 50% जिलों से आए 4,12,641 से ज्यादा लोगों के कोरोना सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं। अब भी 3 जिलों के सैंपल जांच यहीं होती है। लैब को बीएसएल-2 का दर्जा प्राप्त है।
तीन रियल टाइम पीसीआर मशीन, दो हजार सैंपल टेस्ट की क्षमता: पीजीआई की वायरोलॉजी लैब में रोजाना औसतन 2000 सैंपल टेस्टिंग की क्षमता है। यहां 3 रियल टाइम पीसीआर मशीन उपलब्ध हैं। 24 घंटे में 2000 ज्यादा सैंपल टेस्ट करने की लैब के पास क्षमता है।
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