सरकार अभी फसलों की ख़रीद बंद ना करे व बचे हुए किसानों को मौक़ा और दे। सरकार ने ख़ुद 30 जून तक ख़रीद जारी रखने का आश्वासन दिया था। सरकार से आग्रह है कि फसल ख़रीद बंद करने में जल्दबाज़ी की बजाए किसानों की बची हुई पेमेंट के भुगतान और मंडियों में पड़ी फसल के उठान में जल्दबाज़ी दिखाए।
खरीफ की फसलों के MSP में हुई बढ़ोतरी नाकाफी है। धान पर सिर्फ 2.9% की बढ़ोतरी हुई है। खाद, बीज, सिंचाई, तेल, लेबर, कटाई, कढ़ाई, ढुलाई व महंगाई की दर में बढ़ोतरी इससे कई गुणा ज़्यादा है। सरकार की तरफ से तय रेट पर तो खेती की लागत भी पूरी नहीं हो पाएगी। सरकार किसानों के लिए उचित बोनस का ऐलान करे।
चने और सरसों की ख़रीद में हुई धांधली की जांच हो। किसान पहले ही टोटे की मार झेल रहा है। ऊपर से सरकारी घपले की मार उसे बर्बादी की कगार पर ले आई है।सरकार को किसानों के साथ हुई हेराफेरी का संज्ञान लेते हुए आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए व किसानों के नुकसान का भुगतान करना चाहिए।
किसानों और विपक्ष के विरोध के बावजूद प्रदेश सरकार धान के किसानों पर पाबंदी की ज़िद पर अड़ी हुई है। सरकार अब धान की खेती के लिए बरसाती मोगे से नहरी पानी की उपलब्धता की नई नीति लेकर आई है। सरकार धान पर पाबंदी कि ज़िद छोड़े और बरसाती मोगे की नई नीति पर फिर से विचार करे।
No comments:
Post a Comment