Sunday, 21 June 2020

सूर्य ग्रहण के बाद क्या क्या करें ??

जैसा की आप सभी जानते हैं कि अबसे कुछ समय में सूर्य ग्रहण समाप्त होने वाला है एसे में बहुत से लोगों के मन में यह प्रश्न आता है कि सूर्य ग्रहण के बाद क्या करना चाहिए ? आइए इस प्रश्न का समाधान जानने का प्रयास करते हैं ।
ग्रहणकाल के बाद क्या-क्या करें ?

१.सूर्य ग्रहण के समाप्त होने के बाद स्नान करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण के बाद गंगा या किसी पावन नदी में स्नान करना चाहिए। परंतु इस समय कोरोना वायरस के कारण घर से बाहर निकलना सुरक्षित नहीं, इसलिए घर में ही गंगा मां और सभी पावन नदियों का ध्यान कर स्नान कर लें।

२.ग्रहणकाल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी पहने हुए वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए ।

३. आसन, गोमुखी व मंदिर में बिछा हुआ कपड़ा भी धो दें ।

४. सूर्य ग्रहण के बाद पूरे घर में दूषित ओरा के शुद्धिकरण हेतु गंगा जल का छिड़काव करना चाहिए। सूर्य ग्रहण के समय घर में नकारात्मकता आ सकती है जिसे दूर करने के लिए घर में गंगा जल का छिड़काव करना चाहिए। अगर घर में गंगा जल उपलब्ध नहीं है तो आप घर में गोमूत्र का छिड़काव भी कर सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गोमूत्र का छिड़काव करने से नकारात्मकता दूर होती है।

५. ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए । 

६. ग्रहण के बाद स्नान करके खाद्य वस्तुओं में डाले गये कुश एवं तुलसी को निकाल देना चाहिए ।

७. सूर्य या चन्द्र जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए ।

८.सूर्य ग्रहण की समाप्ति के बाद देवी- देवताओं को स्नान अवश्य कराएं। भगवान को स्नान कराने वाले जल में गंगा जल मिलाकर भगवान को स्नान कराएं। अगर घर में गंगा जल नहीं है तो मां गंगा का ध्यान करने के बाद देवी-देवताओं को स्नान कराएं।

९.सूर्य ग्रहण की समाप्ति के बाद दान करने का बहुत महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है। गाय को रोटी खिलाने से भी पुण्य मिलता है। 

१०. घर की अन्नपूरणा के लिए संपूर्ण शुद्धिकरण के बाद ही रसोई घर में प्रवेश करें। वहां रखी सभी चीजों पर भी पवित्रीकरण मंत्र बोलते हुए जल छिड़कें। सूर्य ग्रहण के बाद पूरी शुद्धता के साथ भोजन बनाएं और ब्राह्मणों को खिलाएं या दान करें। इससे पुण्य मिलता है। घर के आंगन में तुलसी का पौधा है, तो उसे भी शुद्धिकरण के बाद जल चढ़ाएं। 

पवित्रीकरण मंत्र - 

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा, सर्वावस्थांगतोऽपि वा।
यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥
ॐ पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु।

अंत में श्री हरि के चरणों में बस यही प्रार्थना है। 

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । 
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत् ॥ 

अर्थ - "सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।"

हरि चरणों का दास -सुनील कुमार मिश्रा 
चित्र -इंटरनेट से साभार 

🚩जय श्रीराम🚩

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