Sunday, 20 March 2022

पापमोचिनी एकादशी की यहां पढ़ें पावन व्रत कथा, च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी और अप्सरा से जुड़ी है कहानी

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत रखने से सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाले एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहा जाता है। कहते हैं कि पापमोचिनी एकादशी व्रत रखने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

पापमोचिनी एकादशी महत्व- शास्त्रों में बताया गया है कि पापमोचिनी एकादशी व्रत को करने से ग्रहों का अशुभ प्रभाव दूर किया जा सकता है। इसके साथ ही चंद्रमा भी जातक को शुभ फल प्रदान करता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु को एकादशी का दिन प्रिय है। ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। कहते हैं कि इस व्रत को रखने वालों को संसार के सभी सुख प्राप्त होते हैं।
 

पापमोचिनी एकादशी व्रत कथा- शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान कृष्ण ने स्वंय पांडु पुत्र अर्जुन को पापमोचिनी एकादशी व्रत का महत्व बताया था। कहा जाता है राजा मांधाता ने लोमश ऋषि से जब पूछा कि अनजाने में हुए पापों से मुक्ति कैसे हासिल की जाती है? तब लोमश ऋषि ने पापमोचनी एकादशी व्रत का जिक्र करते हुए राजा को एक पौराणिक कथा सुनाई थी। कथा के अनुसार, एक बार च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी वन में तपस्या कर रहे थे। उस समय मंजुघोषा नाम की अप्सरा वहां से गुजर रही थी। तभी उस अप्सरा की नजर मेधावी पर पड़ी और वह मेधावी पर मोहित हो गईं। इसके बाद अप्सरा ने मेधावी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ढेरों जतन किए।

मंजुघोषा को ऐसा करते देख कामदेव भी उनकी मदद करने के लिए आ गए। इसके बाद मेधावी मंजुघोषा की ओर आकर्षित हो गए और वह भगवान शिव की तपस्या करना ही भूल गए। समय बीतने के बाद मेधावी को जब अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने मंजुघोषा को दोषी मानते हुए उन्हें पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया। जिससे अप्सरा बेहद ही दुखी हुई।

अप्सरा ने तुरंत अपनी गलती की क्षमा मांगी। अप्सरा की क्षमा याचना सुनकर मेधावी ने मंजुघोषा को चैत्र मास की पापमोचनी एकादशी के बारे में बताया। मंजुघोषा ने मेधावी के कहे अनुसार विधिपूर्वक पापमोचनी एकादशी का व्रत किया। पापमोचिनी एकादशी व्रत के पुण्य प्रभाव से उसे सभी पापों से मुक्ति मिल गई। इस व्रत के प्रभाव से मंजुघोषा फिर से अप्सरा बन गई और स्वर्ग में वापस चली गई। मंजुघोषा के बाद मेधावी ने भी पापमोचनी एकादशी का व्रत किया और अपने पापों को दूर कर अपना खोया हुआ तेज पाया था।


Monday, 10 January 2022

साल 2022 में पड़ेंगी इतनी एकादशी, जानें तिथि और एकादशी के नाम यहां

एकादशी व्रत बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। इस व्रत को रखने की मान्यता यह है कि इससे पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। स्कन्द पुराण में भी एकादशी व्रत के महत्व का उल्लेख मिलता है। ऐसे में आइए जानते हैं आने वाले साल 2022 में पड़ने वाली एकादशी और उनकी तिथियों के बारे में।  


हिंदू पंचांग की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं। प्रत्येक मास  में एकादशी दो बार आती है। एक शुक्ल पक्ष की एकादशी कहलाती है और दूसरी कृष्ण पक्ष की। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं।

एकादशी व्रत का महत्व 

एकादशी व्रत बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। इस व्रत को रखने की मान्यता यह है कि इससे पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। स्कन्द पुराण में भी एकादशी व्रत के महत्व का उल्लेख मिलता है। जो भी व्यक्ति इस व्रत को रखता है उनके लिए एकादशी के दिन धान, मसाले और सब्जियां आदि का सेवन वर्जित होता है। भक्त एकादशी व्रत की तैयारी एक दिन पहले यानि कि दशमी से ही शुरू कर देते हैं। दशमी के दिन श्रद्धालु प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करते हैं और इस दिन वे बिना नमक का भोजन ग्रहण करते हैं। एकादशी व्रत करने का नियम बहुत ही सख्त होता है जिसमें व्रत करने वाले को एकादशी तिथि के पहले सूर्यास्त से लेकर एकादशी के अगले सूर्योदय तक उपवास रखना पड़ता है। ऐसे में आइए जानते हैं आने वाले साल 2022 में पड़ने वाली एकादशी और उनकी तिथियों के बारे में।

दिनांक दिन एकादशी
13 जनवरी गुरुवार पौष पुत्रदा एकादशी
28 जनवरी शुक्रवार षटतिला एकादशी
12 फरवरी शनिवार जया एकादशी
27 फरवरी रविवार विजया एकादशी
14 मार्च सोमवार आमलकी एकादशी
28 मार्च सोमवार पापमोचिनी एकादशी
12 अप्रैल मंगलवार कामदा एकादशी
26 अप्रैल मंगलवार वरुथिनी एकादशी
12 मई गुरुवार मोहिनी एकादशी
26 मई गुरुवार अपरा एकादशी
11 जून शनिवार निर्जला एकादशी
24 जून शुक्रवार योगिनी एकादशी
10 जुलाई रविवार देवशयनी एकादशी
24 जुलाई रविवार कामिका एकादशी
08 अगस्त सोमवार श्रावण पुत्रदा एकादशी
23 अगस्त मंगलवार अजा एकादशी
06 सितंबर मंगलवार परिवर्तिनी एकादशी
21 सितंबर बुधवार इन्दिरा एकादशी
06 अक्तूबर गुरुवार पापांकुशा एकादशी
21 अक्तूबर शुक्रवार रमा एकादशी
04 नवंबर शुक्रवार देवोत्थान एकादशी
20 नवंबर रविवार उत्पन्ना एकादशी
03 दिसंबर शनिवार मोक्षदा एकादशी
19 दिसंबर सोमवार सफला एकादशी
  

 

 

Sunday, 1 August 2021

नियमित करें हनुमान चालीसा का पाठ और पाएं बजरंगबली का आशीर्वाद

दोहा
 

श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।
 

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।



चौपाई :

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।

कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।

संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।

जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।

साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।

अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।

दोहा :
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

 

पापमोचिनी एकादशी की यहां पढ़ें पावन व्रत कथा, च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी और अप्सरा से जुड़ी है कहानी

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत रखने से सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, च...